संसदीय प्रणाली की सरकार में, विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के समय और संसाधनों का एक बहुत बड़ा भाग संसदीय प्रणाली के दिन-प्रतिदिन के कार्यचालन पर व्यय होता है। किसी एक समय के दौरान संसदीय कार्यक्रम में सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों से संबंधित बहुत से जटिल मामले - वित्तीय, विधायी और गैर-विधायी शामिल होते हैं। संसदीय कार्य मंत्रालय, यद्यपि एक छोटा सा मंत्रालय है परन्तु केन्द्रीय सरकार का एक महत्वपूर्ण मंत्रालय है। संसद में सरकार की ओर से इस विविध और विपुल संसदीय कार्य को कुशलतापूर्वक करने का कार्य संसदीय कार्य मंत्रालय को सौंपा गया है। इस प्रकार संसदीय कार्य मंत्रालय, संसद में सरकारी कार्य के संबंध में सरकार एवं संसद के दोनों सदनों के बीच एक महत्वपूर्ण समन्वय कड़ी के रूप में कार्य करता है। मई, 1949 में मुख्यत: उपरोक्त कार्य के लिए एक विभाग के रूप में इसकी स्थापना की गई थी परन्तु अब यह एक सम्पूर्ण मंत्रालय है।.
भारत के संविधान के अनुच्छेद 77(3) के अधीन बनाए गए भारत सरकार (कार्य आबंटन) नियम, 1961 के अधीन मंत्रालय को सौंपे गए कार्य परिशिष्ट-1 में दिए गए हैं।
यह मंत्रालय संसदीय कार्य संबंधी मंत्रिमण्डल की समिति को सचिवालयिक सहायता प्रदान करता है जो कि अन्य बातों के साथ-साथ संसद के दोनों सदनों के सत्रावसान तथा गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयकों और संकल्पों पर सरकार के रूख की सिफारिश करती है।
मंत्रालय सरकार के मंत्रालयों/विभागों से संसद में लम्बित विधेयकों, पुर:स्थापित किए जाने वाले नए विधेयकों और अध्यादेशों के प्रतिस्थापक विधेयकों के संबंध में निकट सम्पर्क बनाए रखता है। मंत्रालय विधेयकों की प्रगति पर निरन्तर निगरानी रखता है। यह निगरानी विधेयकों के मंत्रिमण्डल द्वारा अनुमोदन की अवस्था से लेकर विधेयक के संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित होने तक रखी जाती है। संसद में विधेयकों के पारित होने संबंधी कार्रवाई के सुचारू रूप से पूरा होने को सुनिश्चित करने के लिए इस मंत्रालय के अधिकारी विधेयक प्रायोजित करने वाले मंत्रालयों/विभागों तथा विधि और न्याय मंत्रालय, जोकि विधेयकों का प्रारूपण करता है, के अधिकारियों से सतत सम्पर्क बनाए रखते हैं।
मंत्रालय संसद सदस्यों की परामर्शदात्री समितियां गठित करता है तथा सत्रावधि और अन्त:सत्रावधि दोनों ही के दौरान इनकी बैठकें आयोजित करने के लिए व्यवस्था करता है। इस समय, विभिन्न मंत्रालयों से संबंद्ध ऐसी 29 समितियां हैं जिनके लिए एक वर्ष में लगभग 180 बैठकें आयोजित करना अपेक्षित था। इन समितियों के गठन और कार्यचालन संबंधी दिशा-निर्देश इस मंत्रालय द्वारा तैयार किए जाते हैं। परामर्शदात्री समितियों द्वारा गठित किसी उप समिति/अघ्ययन ग्रुप के संबंध में अधिसूचनाएं भी इस मंत्रालय द्वारा जारी की जाती हैं।
यह मंत्रालय संसद में मंत्रियों द्वारा दिए गए आश्वासनों के शीघ्र और उपयुक्त कार्यान्वयन के लिए अन्य मंत्रालयों के साथ कार्रवाई करता है।
इस मंत्रालय को आबंटित कार्य की कई अन्य मदें भी हैं जिनमें संसद सदस्यों, संसद के दो सचिवालयों और विभिन्न मंत्रालयों के साथ संपर्क शामिल है। सदस्यों के कल्याण और सुख-सुविधाओं की देख-रेख करना भी इस मंत्रालय को आबंटित एक महत्वपूर्ण कार्य है। संसदीय कार्य मंत्री सरकार द्वारा गठित विभिन्न समितियों, परिषदों, बोर्डों और आयोगों पर सदस्यों का नामांकन करते हैं। मंत्रालय संसद सदस्य वेतन, भत्ता एवं पेंशन अधिनियम, 1954; संसद अधिकारी वेतन और भत्ता अधिनियम, 1953; संसद में विपक्षी नेता वेतन और भत्ता अधिनियम, 1977 और संसद में मान्यताप्राप्त दलों तथा समूहों के नेता और मुख्य सचेतक (प्रसुविधाएं) अधिनियम, 1998 का प्रशासन भी करता है।
प्रजातंत्र की जड़ों को मजबूत करने तथा विद्यार्थी समुदाय में अनुशासन और सहनशीलता जैसी स्वस्थ आदतों को डालने और संसद के कार्यचालन की पूर्ण जानकारी देने के लिए यह मंत्रालय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के विद्यालयों; पूरे देश के केन्द्रीय विद्यालयों; जवाहर नवोदय विद्यालयों और विश्वविद्यालयों/कालेजों में युवा संसद प्रतियोगिताओं का आयोजन करता है।