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प्रस्तावना

तृतीय संस्करण की प्रस्तावना

मंत्रालयों में संसदीय कार्य करने की नियम-पुस्तिकाछ का प्रथम संस्करण जुलाई 1973 में तत्कालीन कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा प्रकाशित कराया गया था। उसके बाद 1976 में, तत्कालीन कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग के अनुरोध पर, नियम-पुस्तिका से संबंधित कार्य संसदीय कार्य मंत्रालय को अंतरित कर दिया गया था। संसदीय प्रक्रिया और पद्धति में हुए विभिन्न परिवर्तनों को मद्देनजर रखते हुए, नियम-पुस्तिका को संबंधित मंत्रालयों के परामर्श से संशोधित किया गया तथा नियम-पुस्तिका का द्वितीय संस्करण संसदीय कार्य मंत्रालय द्वारा 1989 में प्रकाशित कराया गया था।

2. पिछले कुछ समय में, संसदीय प्रक्रियाओं, विधायी कार्यवाहियों, अनुदान मांगों, विधेयकों, मंत्रालयों/विभागों के वार्षिक प्रतिवेदनों तथा सदनों को प्रस्तुत दीर्घकालिक नीति दस्तावेजों के परीक्षण के विषय में वर्ष 1993 में पहली बार गठित, संसद की विभागीय स्थायी समितियों की भूमिका में महत्वपूर्ण परिवर्तन आए हैं। लोक सभा में प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमों के नियम 377 के तदनुसार, राज्य सभा में प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमों में, राज्य सभा में सदस्यों द्वारा अत्यावश्यक लोक महत्व के मामले (विशेष उल्लेख) उठाने का प्रावधान करने के लिए, नियम 180कज्ञ्ङ अन्त:स्थापित किये गए। सामान्य लोक महत्व के अति आवश्यक मामलों को, पीठासीन अधिकारियों की अनुमति से, लोक सभा/राज्य सभा में शून्यकाल में भी उठाने की अनुमति दी जाने लगी है।

3. उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए नियम-पुस्तिका की दुबारा पुनरीक्षा की गई और इसे संबंधित मंत्रालयों के परामर्श से संशोधित किया गया। सरकार द्वारा गठित समितियों, परिषदों, बोर्डों तथा आयोगों आदि पर संसद सदस्यों के नामांकन के संबंध में एक नया अध्याय xiv नियम-पुस्तिका में जोड़ा गया है। अतिरिक्त पठन सामग्री के लिए एक ग्रंथसूची भी अन्त में दी गई है। इस सी.डी. फॉरमेट में भी उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है। इसे संसदीय कार्य मंत्रालय की वेबसाइट (http://mpa.nic.in/) पर भी उपलब्ध कराया जाएगा।

4. यह आशा की जाती है कि यह नियम-पुस्तिका भारत सरकार के विभिन्न विभागों के लिए अत्यधिक उपयोगी सिद्ध होगी।

5. यद्यपि इस बात का पूरा ध्यान रखा गया है कि नियम-पुस्तिका को यथासम्भव पूर्ण, यथार्थ और लाभप्रद बनाया जाए, तथापि, सुधार की गंुजाइश तो हमेशा बनी रहती है। इस नियम-पुस्तिका में जो भूलें रह गई हों, उनमें सुधार/संशोधन के सुळाावों का स्वागत किया जाएगा।

विवेक अग्निहोत्री

सचिव, संसदीय कार्य मंत्रालय

नई दिल्ली,

जून, 2004

प्रथम संस्करण की प्रस्तावना

1. कार्यालय पद्धति के पिछले संस्करण में संसद में प्रश्नों, विधि-निर्माण, संकल्पों और प्रस्तावों से संबंधित क्रिया-पद्धति का केवल एक अध्याय था। जब उपरोक्त नियम-पुस्तिका की 1971-72 में पुनरीक्षा की गयी तो यह अनुभव किया गया कि इस महत्वपूर्ण विषय को एक पृथक नियम-पुस्तिका में गहराई से प्रस्तुत करने की आवश्यकता है। ऐसा इसलिए आवश्यक समळाा गया जिससे कि संसदीय कार्य से संबंधित विभिन्न अनुदेशों को, जो कि इस समय बहुत से प्रकाशनों और परिपत्रों में बिखरे पड़े हैं, एक स्थान पर लाया जा सके। तदनुसार, कार्यालय पद्धति के नवीनतम संस्करण से संबंधित अध्याय और तत्संबंधी परिशिष्टों को निकाल दिया गया और मंत्रालयों में संसदीय कार्य को निपटाने के लिए एक पृथक नियम-पुस्तिका संकलित करने का कार्य प्रारम्भ किया गया।

2. प्रारम्भ में इस नियम-पुस्तिका का मसौदा इस विभाग में कार्यकारी दल के मार्ग दर्शन में तैयार किया गया था। इस कार्यकारी दल में संसदीय कार्य विभाग, विधि तथा न्याय मंत्रालय तथा कुछ अन्य विभागों के अधिकारी सम्मिलित थे। इस नियम- पुस्तिका के मसौदे को समस्त मंत्रालयों में परिचालित किया गया और उनके द्वारा व्यक्त किए गए विचारों को दृष्टिगत रखते हुए नियम-पुस्तिका को अन्तिम रूप दिया गया।

3. नियम-पुस्तिका को यथासंभव पूर्ण, शुद्ध तथा उपयोगी बनाने की ओर पूरा ध्यान दिया गया है। तथापि, इस नियम-पुस्तिका में सुधार तथा अनजाने में रह गई भूलों को शुद्ध करने के उद्देश्य से प्राप्त हुए सुळाावों का सानुग्रह स्वागत किया जाएगा और उन पर सावधानीपूर्वक विचार किया जाएगा।

एम. गोपाल मेनन

अपर सचिव तथा निदेशक

संगठन तथा पद्धति

नई दिल्ली, कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग

4 जुलाई, 1973 (प्रशासनिक सुधार)